शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

कंगना के निशाने पर नेहरू; मुनव्वर ने किया आतंकी का बचाव; देश की पहली सी-प्लेन सर्विस गुजरात में शुरू https://ift.tt/2Jh7z5E

नमस्कार!

देश में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा 11 करोड़ के करीब पहुंच गया है। हालांकि चिंताजनक बात यह है कि 7 राज्यों में एक्टिव केस घटने के बजाए अब बढ़ने लगे हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। पहला मैच किंग्स इलेवन पंजाब और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच अबु धाबी में दोपहर साढ़े तीन बजे से खेला जाएगा। दूसरा मुकाबला राजस्थान रॉयल्स और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच दुबई में शाम साढ़े सात बजे से होगा।
  • मुंबई में आज मेनटेनेंस के चलते मध्य रेलवे का मेगा ब्लॉक, हार्बर लाइन पर लोकल ट्रेनें नहीं चलेंगी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फिर बिहार में होंगे। उनकी आज यहां तीन रैलियां होंगी। पहली सारण के छपरा, दूसरी पूर्वी चंपारण और तीसरी समस्तीपुर में है।
  • झारखंड में आज शाम दुमका और बेरमो उपचुनाव का प्रचार खत्म हो जाएगा। 3 नवंबर को दोनों ही जगहों पर वोटिंग होगी।

देश-विदेश

मुनव्वर राणा ने फ्रांस के आतंकी हमलावर का बचाव किया

फ्रांस में हुए आतंकी हमले पर मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने कहा, ‘आप विवाद को जन्म देकर लोगों को उकसा रहे हैं। मोहम्मद साहब का कार्टून बनाकर उसे कत्ल के लिए मजबूर किया गया, अगर उस स्टूडेंट की जगह मैं भी होता तो वही करता जो उस स्टूडेंट ने किया।’

गुजरात में सी-प्लेन सर्विस शुरू, इसका किराया 1500 रुपए

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को नर्मदा जिले के केवडिया में देश की पहली सी-प्लेन सर्विस की शुरुआत की। यह सर्विस केवडिया से अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट तक शुरू की गई। किराया 1500 रुपए है। सी-प्लेन से 200 किमी का सफर 40 मिनट में पूरा हो जाएगा।

मोदी बोले- पुलवामा हमले से देश दुखी था, कुछ लोग दुख में शामिल नहीं थे

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को केवडिया में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के पास हुए एकता दिवस के प्रोग्राम में कहा, "देश कभी भूल नहीं सकता कि पुलवामा हमले के बाद जब वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे। वे पुलवामा हमले में भी अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे।"

कंगना बोलीं- पटेल ने गांधीजी की खुशी के लिए पीएम का पद ठुकराया

सरदार पटेल के बहाने कंगना रनोट ने पं. जवाहरलाल नेहरू के बारे में बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, "पटेल ने गांधीजी की खुशी के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में सबसे योग्य पद को ठुकरा दिया, क्योंकि गांधीजी को लगता था कि नेहरू बेहतर अंग्रेजी बोलते हैं। पटेल को नुकसान नहीं हुआ, लेकिन देश ने दशकों इसका परिणाम झेला।"

ट्रम्प बोले- कोरोना से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा

अमेरिका में कोरोनावायरस के मामले भी रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब भी बेफिक्र नजर आते हैं। मिशिगन की एक चुनावी रैली में ट्रम्प ने कहा कि कोरोनावायरस से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा हो रहा है। उन्होंने यह भरोसा भी जताया कि वे व्हाइट हाउस में ही रहेंगे।

ओरिजिनल

कहानी हरिलाल की, जिनकी जमीन बिहार में, लेकिन घर जम्मू में है

बिहार के सिवान जिले का हरिलाल परिवार सहित 30 साल से जम्मू में हैं। यहां वो ड्राइक्लीन और कपड़े प्रेस करने का काम करते हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियां हैं। जो जम्मू में ही पैदा हुईं और पली बढ़ी। अब उनमें से कोई बिहार वापस नहीं जाना चाहता, जबकि उनकी जमीन बिहार में है, लेकिन घर जम्मू में। पढ़ें पूरी खबर...

नए कानून के बाद जमीन खरीदने डीलरों के पास फोन आना शुरू

डेटा स्टोरी

भारत में हर घंटे सड़क दुर्घटना में 17 मौतें

भारत में सड़कें पैदल चलने के लिए भी सुरक्षित नहीं हैं! 2019 में हर दिन 1,230 एक्सीडेंट और 414 मौतें हुईं। वहीं, जब इस आंकड़े को घंटे के ब्रेक-अप में देखें तो हर घंटे करीब 51 एक्सीडेंट हुए और उनमें 17 लोगों की मौत हुई। दुखद पहलू यह है कि मरने वालों में 57% पैदल चलने वाले, साइकिल चलाने या टू-व्हीलर चलाने वाले थे। पढ़ें पूरी खबर...

देश की सड़कों के बारे में दो अहम बातें

सुर्खियों में और क्या है...

  • अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा, "हम बहुत जल्द अपने कोविड-19 वैक्सीन की टेस्टिंग शुरू करने जा रहे हैं। शुरुआत में इसके डोज 12 से 18 साल के किशोरों को दिए जाएंगे।"
  • वेस्टइंडीज के क्रिस गेल टी-20 क्रिकेट में 1000 छक्के लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने IPL पंजाब की ओर से खेलते हुए राजस्थान के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की।
  • दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.58 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 32 लाख 37 हजार 845 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.93 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
  • 7 फिल्मों में जेम्स बॉन्ड का रोल निभाने वाले हॉलीवुड फिल्मों के सुपरस्टार शॉन कॉनरी का शनिवार को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पहले एक्टर थे, जिन्होंने जेम्स बॉन्ड की भूमिका निभाई।


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Nehru on Kangana's target; Munawwar defends terrorist attacker; Country's first sea-plane service started


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अकेली महिला समाज में असुरक्षित क्यों है? क्यों नारी देह आकर्षण, अधिकार और अपराध का शिकार बनती जा रही है? https://ift.tt/34JDG6d

विचार- अकेली स्त्री असुरक्षित क्यों है? ये सवाल हमेशा उठता रहा है। क्या दोष समाज का है, क्या न्याय व्यवस्था ढीली है या अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं? स्त्री की देह पुरुषों के लिए केवल आकर्षण ही नहीं, अधिकार और अपराध का विषय भी बनता जा रहा है।

कहानी- सीताजी ने जब पंचवटी में सोने का हिरण देखा, तो वो तो इतना जानती थी कि ये तो अद्भुत है और जीवन में इससे पहले हिरण का ऐसा रूप नहीं देखा। हालांकि, वह हिरण नहीं, रावण का मामा मारीच था। जो रावण के कहने पर वेश बदलकर आया था।

सीताजी ने अपने पति श्रीराम से कहा मुझे ये हिरण ला दीजिए। राम ने एक बार समझाया भी, आप मेरे साथ अयोध्या से सबकुछ छोड़कर आई हैं। तो फिर इस स्वर्ण मृग के प्रति आपका आकर्षण क्यों है? लेकिन, सीता कोई तर्क सुनने को तैयार नहीं थीं। स्वर्ण मृग का आकर्षण ही ऐसा था। उन्होंने श्रीराम से कहा कि आप कैसे भी ये मृग मेरे लिए ले आइए।

राम समझ गए कि अपनी पत्नी की इस जिद को पूरा करना ही पड़ेगा और वे दौड़ पड़े। लक्ष्मण को छोड़ गए, सीता की रक्षा के लिए। उधर उन्होंने जब मारीच को तीर मारा तो मारीच ने राम की आवाज में लक्ष्मण को पुकारा। सीता ने लक्ष्मण पर दबाव बनाया कि आप जाकर देखिए आपके भाई संकट में हैं।

न चाहते हुए भी लक्ष्मण चले गए और पीछे से रावण आ गया। रावण ने साधु का वेश बनाया था। सीता से आग्रह किया कि तुम्हें आश्रम की सीमा से बाहर आना पड़ेगा और सीता आई और उनका हरण हो गया।

यहां सीता ने हरण के बाद जो संवाद बोला वह ये था कि यदि रावण तुम साधु के वेश में नहीं होते तो तुम मेरा हरण नहीं कर सकते थे। मैं स्त्री होकर पुरुष के प्रत्येक स्वरूप का मान करती हूं। और तुम पुरुष होकर स्त्री का सम्मान नहीं करते।

सबक- स्त्रियों को अपनी सुरक्षा के लिए केवल बल की जरूरत नहीं है। छल से भी उन्हें सावधान रहना चाहिए। स्त्रियां घर में हों या बाहर, अतिरिक्त सावधानी रखिए। ऐसी अतिरिक्त सावधानी पुरुषों को रखने की जरूरत पड़ती, लेकिन स्त्री देह का गठन ऐसा है, अगर इसमें सावधानी नहीं रखी गई तो रावण जैसे अपराधी को अवसर मिल जाता है।

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Aaj ka Jeevan Mantra by Pandit Vijay Shankar Mehta, Why is a single woman insecure in society?, facts of ramayana, story of sita haran, shriram and ravan,


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नए कानून के बाद जमीन खरीदने डीलरों के पास फोन आना शुरू, बुकिंग भी होने लगी, पर कीमत दोगुनी हुई https://ift.tt/34KcOmC

बिहार के सिवान जिले के हरी लाल परिवार सहित 30 साल से जम्मू में हैं। यहां वो ड्राई क्लीन और कपड़े इस्त्री करने का काम करते हैं। उनका एक बेटा सुमन कुमार और दो बेटियां हैं। जो जम्मू में ही पैदा हुईं और पली बढ़ी। आज न तो हरी लाल का बेटा बिहार वापस जाना चाहता है न ही बेटियां। यहां तक कि बिहार चुनाव से भी उन्हें कोई लेना देना नहीं है।

जमीन तो बिहार में है लेकिन घर जम्मू में। जैसे ही धारा 370 हटी, उन्हें उम्मीद जगी कि अब वह किराए के घर को छोड़ अपना घर लेंगे। लेकिन, यह सपना साकार हुआ अब जब 26 अक्टूबर को नया भूमि कानून आया। अब वह जहां रहते हैं वही पर अपनी जमीन लेना चाहते हैं।

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के मोहम्मद इस्तकार सलमानी। तीन साल पहले काम की तलाश में जम्मू आए और सैलून का काम शुरू किया। जम्मू शहर के सुभाष नगर में सैलून का काम शुरू किया तो चल निकला। आज दुकान और मकान दोनों किराये पर हैं। नए भूमि कानून से पता चला कि अब जमीन खरीद सकते हैं तो कहते हैं कि परिवार को भी यहीं लाना चाहता हूं।

वो कहते हैं, 'नया भूमि कानून अच्छा है। यहां काम करने वाले बाहरी राज्यों के लोगों के लिए बेहतर अवसर है, अपना घर बनाने और काम करने का। अब लगता है कि बाकी राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर भी पूरी तरह भारत का हिस्सा है।'

बिहार के रहने वाले सुमन और उनका परिवार पिछले कई वर्षों से ड्राई क्लीन का काम करता है। वे इस नए कानून से खुश हैं।

बाहरी राज्यों के लोग भी करना चाहते हैं इन्वेस्ट, सेटल होने के विचार कम

जम्मू कश्मीर को लेकर कहा जा रहा था कि अगर धारा 370 हटी और नए कानून आए तो बहरी राज्यों के लोग यहां बस जाएंगे। लेकिन, जम्मू या कश्मीर में परमानेंट सेटल होने के बारे में वही सोच रहा है जिसका यहां बिजनेस है या जो यहां केंद्रीय कर्मी है। पंजाब या दिल्ली के ज्यादातर लोग केवल इन्वेस्ट करना चाहते हैं। चाहे जमीन में हो या दूसरे बिजनेस में।

पंजाब के जालंधर के विजय कुमार मेहता कहते हैं, "मेरे रिश्तेदार जम्मू में हैं। आना-जाना लगा रहता है। शहर अच्छा है और लोग भी। बसना तो नहीं चाहेंगे, लेकिन जमीन में इन्वेस्ट करना चाहेंगे।" दिल्ली के अजय बख्शी का ससुराल जम्मू में हैं। वह कहते हैं,"अगर कोई फ्लैट अच्छे दाम पर मिले तो जरूर लेंगे। लेकिन, परमानेंट सेटल होने के बारे में कभी सोचा नहीं। जरूरत भी नहीं है।" पंजाब के होशियारपुर के नवीन गुप्ता एक व्यवसायी हैं। उनका कहना है कि जम्मू में व्यवसाय करने के अवसर देख रहे हैं। अब वहां के किसी नागरिक को पार्टनर बनाने की जरूरत नहीं। खुद काम करेंगे।

जम्मू के एक धड़े को डर, भूमि माफिया न हो जाए सक्रिय

जम्मू के व्यवसायी संदीप गुप्ता का मानना है कि बाहर के रियल एस्टेट के लोगों के पास बेशुमार दौलत है। वह बड़े तौर पर जमीन खरीदकर मन मुताबिक दाम पर बेचेंगे। यहां के स्थानीय लोगों के लिए कामकाज का कम्पीटिशन भी बढ़ेगा और लोगों के लिए दाम भी। जिस जमीन का दाम आज 5 या 6 लाख रुपये प्रति मरला है, वही सीधे 10 लाख रु पहुंच जाएगी।

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के मोहम्मद इस्तकार सलमानी भी जमीन खरीदना चाहते हैं। वे कहते हैं कि अगर जमीन मिल जाए तो वो परिवार को भी यहीं लाएंगे।

सैनिक कालोनी के बिजनेस प्रधान राकेश चौधरी कहते हैं कि नए भूमि कानून का स्वागत करना चाहिए। क्योंकि जब बाहरी राज्यों के लोग आएंगे और काम करेंगे या जमीन खरीदेंगे तो जम्मू के लोगों के लिए अवसर बढ़ेंगे और विकास होगा। वो कहते हैं कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों की दिल्ली एनसीआर में प्रॉपर्टी हैं तो वहां के लोग यहां क्यों नहीं आ सकते।

जम्मू में फ्लैट कल्चर भी बढ़ रहा

जम्मू के व्यवसायी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे पास एक कॉलोनी में 250 फ्लैट बने हैं। इसमें से ज्यादातर बिक गए थे। नया कानून आने के बाद से 4 -5 दिनों में कई बाहरी राज्यों से फोन आ रहे हैं। यहां तक कि कुछ बुक भी हुए हैं। कुछ टॉवर अभी बन रहे हैं।

हालांकि अभी अचानक दाम नहीं बढ़े हैं, लेकिन जब कुछ ही फ्लैट बचेंगे तो 50 लाख वाला फ्लैट भी 75 लाख तक जायेगा। और जिन लोगों ने कम पैसे में लेकर इन्वेस्ट किया है, वह भी मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं जम्मू की एक कॉलोनी में फ्लैट बुक करने वाले चंडीगढ़ के प्रशांत कुमार कहते हैं कि एक फ्लैट लेने का मन बनाया है। अब अवसर है इन्वेस्ट करने का। कुछ प्रॉपर्टी डीलर से भी बात हुई है।

प्रॉपर्टी डीलर का काम बढ़ेगा

जम्मू के सैनिक कॉलोनी में पिछले एक दशक से प्रॉपर्टी का काम करने वाले सचिन चलोत्रा कहते हैं, 'काम तो बढ़ेगा, हमारे पास हमेशा स्थानीय ग्राहक होते थे। अब दाम ज़मीन और लोकेशन के हिसाब से होंगे। क्योंकि बाहर से लोग आएंगे तो अच्छी जमीन का अच्छा दाम भी मिलेगा।

भूमि कानून संशोधन पर राजनीति शुरू

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि केंद्र सरकार के इरादे अब बिलकुल साफ है। नया भूमि कानून केवल एक चुनावी स्टंट है, क्योंकि बिहार में चुनाव है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर पाबंदी है। जबकि केंद्र ने एक साजिश के तहत अमीर तबके को खुली जमीन खरीदने के अवसर दिए हैं ताकि वह यहां के लोगों को बाहर फेंक सके।

क्या है नया भूमि कानून जानने के लिए पढ़िए:

अब आप-हम भी खरीद सकते हैं कश्मीर में जमीन; आइए समझते हैं कैसे?



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बिहार के सिवान जिले का हरी लाल परिवार सहित 30 साल से जम्मू में हैं। यहां वो ड्राई क्लीन और कपड़े इस्त्री करने का काम करते हैं।


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बिहार के नतीजों और IPL फाइनल से लेकर दीपावली और देवउठनी ग्यारस तक नवंबर में आपके काम की जरूरी तारीखें https://ift.tt/3jFGdTm



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तीन दोस्तों ने लाखों की नौकरी छोड़ जीरो इन्वेस्टमेंट से शुरू की ट्रेकिंग कंपनी, एक करोड़ टर्नओवर https://ift.tt/3jJtH5q

ओशांक, हर्षित और मोहित… आज की कहानी इन तीन दोस्तों की, जो अपनी-अपनी कमाऊ नौकरी से बोर हो चुके थे और लाइफ में कुछ अलग करना चाहते थे। 2014 से पहले ये तीनों एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। बस तीनाें में कॉमन ये था कि जब भी ये अपने काम से ऊब जाते तो सब छोड़कर कुछ दिनों के लिए ट्रेकिंग पर निकल जाते थे।

फिर रिफ्रेश होकर अपने रुटीन में वापस लौट आते थे। ट्रेकिंग के इसी पैशन के चलते 2017 में ये तीनों मिले, फिर इनमें दोस्ती हुई और तीनों ने मिलकर एक स्टार्टअप ‘ट्रेकमंक’ की शुरुआत की। पिछले फाइनेंशियल ईयर में इनकी कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़ तक पहुंच गया।

जब हमने इन दोस्तों से बात की तो उस वक्त हर्षित और मोहित ग्रुप्स के साथ ट्रेक पर थे और अपने दिल्ली बेस्ड ऑफिस से मैनेजमेंट संभाल रहे थे। इस बातचीत में ओशांक ने ट्रेकमंक के शुरू हाेने की पूरी जर्नी हमसे शेयर की।

तीन दोस्त; एक इनवेस्टमेंट बैंकर, दूसरा आईआईटी ग्रेजुएट और तीसरा मांउटेनर

32 साल के ओशांक पेशे से इनवेस्टमेंट बैंकर थे। 2014 में काम के दबाव से थककर अपना बैग पैक किया और कोलकाता निकल गए। 28 साल के मोहित आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं, लेकिन उन्हें हमेशा यही लगता था कि जो वो करना चाहते हैं, वो नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह थी कि उन्होंने छह महीने के अंदर तीन नौकरियां बदलीं।

ओशांक, हर्षित और मोहित तीनों ने मिलकर 2016 में ट्रेकमंक की शुरुआत की।

28 साल के हर्षित ने 19 की उम्र में ही अकेले घूमना शुरू कर दिया था, केरल में एक बाइक एक्सीडेंट में उनके पांव की दो हड्डियां टूट गईं थीं। साल भर बाद डॉक्टर्स ने कहा कि वो कभी भी पहले की तरह नहीं चल पाएंगे लेकिन हर्षित ने अपनी इच्छा शक्ति के सामने डॉक्टर्स की बात को गलत साबित किया और लद्दाख में स्टोक कांगड़ी पर अकेले ट्रेक किया।

ऋषिकेश में एक नौकरी इंटरव्यू में तीनों की मुलाकात हुई

2015 में ये तीनों ऋषिकेश बेस्ड एक ट्रेवल ऑर्गेनाइजेशन में ट्रेक लीडर की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आए थे, इसी दौरान ये एक-दूसरे से मिले। नौकरी के दौरान तीनों ने नोटिस किया कि इस कंपनी में काफी कमियां हैं जिसे वो ठीक कर सकते हैं। इस बारे में उन्होंने हायर अथॉरिटी से भी बात की, लेकिन उन्होंने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया।

आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की, लेकिन नौकरी के लिए रिज्यूम भी नहीं बनाया, आज ऑर्गेनिक फार्मिंग से सालाना 9 लाख रु कमा रहे

ओशांक बताते हैं कि ‘जब हर्षित और मैंने नौकरी को छोड़ने का फैसला किया उस वक्त मोहित कंपनी में ही था। हम उस कंपनी के वर्क कल्चर से खुश नहीं थे इसलिए हमने अपनी बाइक उठाई और वलसाड से कन्याकुमारी की ओर हर्षित के होमटाउन की ओर निकल गए।’

2015 में ये तीनों ऋषिकेश बेस्ड एक ट्रेवल ऑर्गेनाइजेशन में ट्रेक लीडर की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आए थे, इसी दौरान ये एक-दूसरे से मिले।

इस एक महीने की यात्रा के दौरान दोनों ने अपने पैशन को पूरा करते हुए पैसे कमाने का प्लान बनाया। इसी बीच में उन्हें ‘ट्रेकमंक’ का आइडिया आया। इस जर्नी के दौरान वो काफी लोगों से मिले और लोगों को बताना शुरू किया कि जल्द ही वो एक ट्रेकिंग कंपनी शुरू करने जा रहे हैं। जो सभी तरह के ग्रुप्स के लिए ऑफबीट ट्रेक ऑर्गनाइज करेगी। नवंबर 2016 में दिल्ली लौटने के बाद उन्होंने अपने स्टार्टअप को रजिस्टर्ड कराया। इसके बाद मोहित भी ऋषिकेश बेस्ड टूर एजेंसी की नौकरी छोड़कर इसमें शामिल हो गए।

हमारा ट्रेकमंक में जीरो इंवेस्टमेंट था

ओशांक बताते हैं कि शुरुआत में हमारे पास कुछ नहीं आ रहा था। हम फ्री ऑफ कॉस्ट काम कर रहे थे। हम बस री-इनवेस्ट करते जा रहे थे। ट्रेकमंक को शुरू करने में हमारा जीरो इंवेस्टमेंट था।’ हम पहला ग्रुप 6 जनवरी 2017 को चादर ट्रेक पर लेकर गए थे। इसमें फर्स्ट बैच में 6 लोग थे, सेकंड बैच में 9 और थर्ड बैच में 10 लोग थे। हमने एक ट्रेक से शुरुआत की और आज हम 100 से ज्यादा ऑफबीट ट्रेक कराते हैं।’

ओशांक कहते हैं कि ‘सर्विस सेक्टर में हमेशा प्रॉफिट मार्जिन रहता है। हमारे ट्रेक पैकेज में करीब 30 प्रतिशत का मार्जिन रहता है और यह पैसा हमारी जेब में ही आता है। हम इन पैसों से इक्यूपमेंट, टैंट्स आदि खरीद लेते थे, आगे के बैचेस की तैयारियों में ये पैसा इंवेस्ट कर लेते थे। किसी भी ट्रेक में हमें कभी घाटा नहीं हुआ, बस हम हमेशा अपने प्रॉफिट को बिजनेस में लगाते रहे।’ वो कहते हैं कि ‘कोविड के बाद सितंबर से हमने दोबारा ट्रेकिंग शुरू की है लेकिन अब काफी कुछ बदल गया है। पहले हम 16 लोगों का बैच लेकर जाते थे, अब सिर्फ 10 लोगों का बैच ही ले जाते हैं।

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3. 3500 रुपए से शुरू हुआ काम 2 करोड़ तक पहुंच गया, पूंजी नहीं थी इसलिए ऐसा काम चुना जिसमें कोई लागत नहीं हो



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...गोया औरत का गर्भ न हुआ, सुलभ शौचालय की दीवार हो गई, जहां जब मन आए, आप फारिग हो जाएं https://ift.tt/31YYUvc

पिछले दिनों एक फैमिली कोर्ट में अजीबोगरीब मामला आया। इसमें 40 साल की होने को आई एक पत्नी ने मां बनने का हक मांगा। पति का तर्क था कि पत्नी उसे पर्याप्त इज्जत नहीं देती, लिहाजा वो साथ नहीं देगा। पत्नी ने हारकर आईवीएफ यानी कृत्रिम तरीके से मां बनने पर सहमति चाही लेकिन पति अपने शुक्राणु देने को राजी नहीं। उल्टा उसने अपनी बीवी पर सवालों का तमंचा तान दिया और खुद नौकरी छोड़कर उससे गुजारा भत्ता मांग रहा है। इरादा साफ है। कोर्ट के फेरे लगाते हुए पत्नी का गर्भाशय जर्जर हो जाए और वो कभी मां न बन सके। मिन्नतें करें वो अपनी जिंदगी के जागीरदार बन बैठे उस मर्द से।

अफसोस। मां बनने की इच्छा रखने वाली औरत को मां न बनने देकर मर्द उसे सजा दे पाता है। या फिर इसके ठीक उलट औरत को तब तक प्रेग्नेंट करता रहता है, जब तक उसका गर्भाशय आटे की पुरानी बोरी जैसा बेडौल और कमजोर न हो जाए। असल में सारा मसला औरत के इसी अंग-विशेष से जुड़ा हुआ है। बच्ची मां के गर्भ से बाहर आई नहीं कि उसे मां बनने के लिए तैयार करने की कवायद शुरू हो जाती है। खेलने के लिए उसे गुड़िया मिलती है ताकि उसकी देखरेख के बहाने बच्ची रतजगे की आदत डाल ले। बच्चे के जन्म में आधे हिस्सेदार रहे पति या तो बगल के कमरे में नींद पूरी कर रहे होंगे। या फिर नए जमाने के हुए तो बाजू में आधी नींद में मां-बच्चे पर कुड़कुड़ा रहे होंगे।

किस्सा यहीं खत्म नहीं होता, मेडिकल साइंस भी पुरुष-सत्ता को सहेजने का कोई मौका नहीं छोड़ता। वो बताता है कि मां बनने के कितने दिनों बाद औरत का शरीर दोबारा यौन संबंध बनाने को तैयार हो जाता है। कितने दिनों बाद औरत का मन राजी होगा, इसपर कोई बात नहीं होती।

रेप की धमकी भी तो आखिरकार मर्द इस गर्भाशय के चलते दे पाते हैं। कहीं की न छोड़ने का ये प्रण मर्दों ने इतना पक्का कर रखा है कि सड़क पर बिखरे बाल और कपड़ों में अनाश-शनाप बोलती औरतों को भी नहीं बख्शा जाता। वो औरत, जिसे अपना नाम तक नहीं पता, घर-रिश्ते तो दूर, वो भी वहशियत से सुरक्षित नहीं। कुछ दिन पहले इक्का-दुक्का मानवाधिकार संस्थाओं ने मानसिक तौर पर कमजोर औरतों के गर्भाशय हटाने की मांग कर डाली थी। उनका तर्क लाजवाब था- जिन औरतों को अपने कपड़ों की सुध नहीं, वे बच्चा कैसे संभालेंगी! बिल्कुल सही।

वे बच्चा नहीं संभाल सकतीं लेकिन संस्थाओं ने ये क्यों नहीं कहा कि सड़क पर घूमते वहशी पुरुषों की नसबंदी करवा दें ताकि औरतें बची रहें। मां बनने के पक्ष और विपक्ष में तमाम तर्क पुरुषों के ही पाले में जा रहे हैं। पिता कहलाने का सुख चाहिए तो औरत प्रेगनेंट होगी। औरत को मजा चखाना है तो भी वो प्रेगनेंट होगी। और सड़क पर चलते हुए यौन सुख की इच्छा उछालें मारने लगे तो भी औरत प्रेगनेंट होगी। गोया औरत का गर्भ न हुआ, सुलभ शौचालय की दीवार हो गई, जहां जब मन आया, आप फारिग हो जाएं।

लड़की ने इनकार क्या किया, मर्द का इगो सांप जैसा फुफकारता है, फिर उसे कुचलने की कवायद शुरू होती है

और अगर किसी औरत ने अपने गर्भाशय पर अपनी मर्जी चलाई, झट से मर्दों का समूचा अस्तित्व डोल उठता है। गले की नसें फुलाकर वे इस हक को अनैतिक करार देते हैं। और ऐसा करने वाली अपराध के गहरे कुएं में धकेल दी जाती है। क्यों भई, जब मेरे दांतों या बालों पर मेरा अधिकार है तो मेरे गर्भाशय के मालिक आप कैसे हुए?

नौ महीने तक मैं उबकाइयां लूं और आप जीभ चटकाते हुए अपनी पसंदीदा डिश उड़ाएं। मेरा शरीर खुद मुझपे भारी हो जाए और आप जिम में डोले-शोले बनाएं। नौ महीने बाद पेट पर बड़ा-सा नश्तर झेलूं मैं और पिता आप कहलाएं। अगर मां कामकाजी हुई तो दफ्तर के बाकी पुरुष भी उसे चीरने को तैयार रहेंगे। हाल ही में मेरी एक सहकर्मी मैटरनिटी लीव पर गई तो एक पुरुष सहकर्मी ने मजाक में मुझसे कहा- काश मैं भी औरत होता तो मजे में 6 महीने मुफ्त तनख्वाह उड़ाता।

मर्दों की दुनिया का ये खेल वैसे काफी पुराना है। अमेरिकी लेखक नथानियल हॉथॉर्न की किताब 'द स्कारलेट लेटर' को पढ़ते हुए आप दुनियाभर में फैले अपने बिरादरी वालों के बारे में जान सकेंगे। इस उपन्यास में उन औरतों का किस्सा है, जो अपने गर्भाशय पर अपना हक मानने का अपराध कर बैठी थीं। अब अपराध हुआ है तो सजा भी मिलेगी। लिहाजा औरतों का चेहरा और पूरा शरीर लाल रंग से रंगा जाता। लाल रंग इसलिए कि पता चले कि वे हत्यारिन हैं।

इसमें हेस्टर नाम की एक बागी औरत को न केवल लाल रंगा गया, बल्कि उसकी पूरी सजा टीवी पर दिखाई गई, ताकि उसे देख रही औरतें अपना कलेजा थाम लें और मेरा गर्भ- मेरी मर्जी, जैसी बचकानी बातें करना बंद कर दें। हेस्टर को महीनेभर अपनी गोद में एक गुड़िया लिए घूमना था ताकि उसे पल-पल याद रहे कि उसने एक भ्रूण की हत्या की है। इस यंत्रणा में ढेरों औरतें शर्म या ग्लानि से मर जाती थीं। हेस्टर जिंदा रही।

वो हम औरतों जैसी मजबूत होगी शायद। लेकिन सहनशीलता की पराकाष्ठा बेमानी हैं। मर्दों को सिखाना होगा कि औरत की कोख को सार्वजनिक शौचालय समझना बंद कर दो। पिता बनने की इच्छा कोई 11वीं में विषय चुनने की इच्छा नहीं, जिसका तुमसे और सिर्फ तुमसे ताल्लुक हो। ये सबसे पहले और सबसे ज्यादा औरत का फैसला है।

बात बराबरी की... बाकी कॉलम यहां पढ़ें

1. बात बराबरी की:सिर्फ लड़की की इज्जत उसके शरीर में होती है, लड़के की इज्जत का शरीर से कोई लेना-देना नहीं?

2. बॉलीवुड की औरतें नशे में डूबी हैं, सिर्फ वही हैं जो ड्रग्स लेती हैं, लड़के सब संस्कारी हैं, लड़के दूध में हॉरलिक्स डालकर पी रहे हैं

3. जब-जब विराट का खेल खराब हुआ, ट्रोलर्स ने अनुष्का का खेल खराब करने में कसर नहीं छोड़ी, याद नहीं कि कभी विराट की जीत का सेहरा अनुष्का के सिर बांधा हो

4. कितनी अलग होती हैं रातें, औरतों के लिए और पुरुषों के लिए, रात मतलब अंधेरा और कैसे अलग हैं दोनों के लिए अंधेरों के मायने



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Goya woman is not conceived, Sulabh is a wall of toilets, where whenever you feel like, you are forbidden.


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अब 2 महीने रहेगा कोरोना के साथ फ्लू का भी खतरा, इमरजेंसी लक्षण जल्द पहचान लेंगे तो बच जाएंगे https://ift.tt/34M0hzc

देश के उत्तरी हिस्से में ठंड ने दस्तक दे दी है। WHO(वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक भारत में अगले दो महीने सीजनल फ्लू के हैं। इस दौरान मौसम बदलने और ठंड लगने से लोगों को कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग तो इस मौसम में हाई रिस्क कैटेगरी में होते हैं। इस बार लोगों को और ज्यादा अलर्ट रहना होगा, क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है।
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी CDC(सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) का कहना है कि ऐसे लोग जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है और इन्फ्लूएंजा इंफेक्शन या सीरियस फ्लू की चपेट में हैं। इन्हें ठंड में जान जाने का भी खतरा होता है।

फ्लू को लेकर हमारे हर सवाल का एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की HOD डॉक्टर उमा कुमार जवाब दे रही हैं-

क्यों होता है फ्लू?
फ्लू भी वायरस से ही होते हैं। चूंकि ठंड में तापमान कम होता है और लोग बहुत पास-पास रहते हैं, इसलिए जब कोई खांसता या छींकता है तो वायरस तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ठंड में सांस से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं।

फ्लू के लक्षण कैसे हैं?
फ्लू में बुखार, गले में खरास, खांसी, सिर में तेज दर्द, शरीर में दर्द होता है। थकान बहुत ज्यादा आती है। जोड़ों में भी दर्द होता है। फ्लू अचानक होता है, इसलिए हमें तुरंत डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए।

फ्लू कितने दिन तक रहता है?
फ्लू वैसे तो एक हफ्ते के अंदर सही हो जाता है, लेकिन यदि शरीर में और कोई कॉम्प्लीकेशंस हैं तो इसका असर अन्य आर्गन्स पर भी पड़ सकता है। कुछ लोग इससे बचने के लिए नियमित तौर पर फ्लू की वैक्सीन भी लगवाते हैं।

क्या सावधानी रखें?

कोविड-19 की तरह ही ढेर सारे वायरस वातावरण में हैं, जिनसे छोटा-मोटा कफ-कोल्ड होता रहता है और वह ठीक भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठंडी चीज न खाएं, ताकि गला खराब न हो। यदि गला खराब होता है तो किसी भी इन्फेक्शन के अंदर जाने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ठंड में गर्म पानी जरूर पीएं, इससे फ्लू से बचे रहेंगे।

कोरोना और फ्लू में अंतर जानने लिए के पढ़ें- एक्सपर्ट्स की सलाह- दोनों के लक्षण एक जैसे हैं, अंतर बेहद मामूली; पर इन्हें कुछ सावधानी से पहचान सकते हैं

कोरोना और फ्लू में कन्फ्यूजन कैसे दूर करें?
कोविड-19 और सीजनल फ्लू के कई सिंप्टम्स एक-दूसरे को ओवरलैप करते हैं। इसलिए दोनों में अंतर करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। अभी कोरोना महामारी चल रही है, इसलिए इस बात का डायग्नोसिस में ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।



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flu season start in India, next 2 months will be the risk of flu along with corona, if you recognize emergency symptoms soon then you will be saved, how you will safe against the flu.


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अगर आप स्टूडेंट हैं तो यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है; पढ़ें बीते हफ्ते की खबरों से जुड़ा GK https://ift.tt/2GeFHOq



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बिहार में पहले दो फेज में हर तीसरे उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस, 14% पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का केस https://ift.tt/3mE9srB

24 अक्टूबर 2020 यानी एक हफ्ते पहले, बिहार के शिवहर जिले में जनता दल राष्ट्रवादी पार्टी के उम्मीदवार श्रीनारायण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। श्रीनारायण सिंह पर 6 केस दर्ज थे। अवैध हथियार के मामले में उन्हें दो साल की सजा भी हो चुकी थी।

श्रीनारायण सिंह अकेले ऐसे उम्मीदवार नहीं थे, जिन पर आपराधिक मामले थे। बल्कि ऐसे और भी हैं। इस बार पहले और दूसरे फेज में 2,529 उम्मीदवार उतरे हैं, जिनमें से 830 यानी 33% पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इसका मतलब हुआ कि हर तीसरे उम्मीदवार पर क्रिमिनल केस हैं।

5 ग्राफिक्स के जरिए समझें बिहार में पहले दो फेज के उम्मीदवारों में कितने दागी हैं? किस पार्टी ने कितने दागी उतारे हैं?

पहले फेज के 31% और दूसरे फेज के 35% उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस

  • पहले फेज में 1,066 उम्मीदवार हैं। इनमें 30.76% यानी 328 पर क्रिमिनल केस हैं। 22.88% यानी 244 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन पर सीरियस क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
  • दूसरे फेज में 1,463 उम्मीदवार हैं। इनमें 34.31% प्रतिशत यानी 502 पर क्रिमिनल केस हैं। 26.58% यानी 389 ऐसे उम्मीदवारों पर सीरियस क्रिमिनल केस हैं।

(इनपुट- एडीआर रिपोर्ट)



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Bihar Election 2020:Criminal background bihar assembly 2020 candidate, anant kumar singh,manoj manjil


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Top opposition figures, including Congress's Sonia Gandhi and Rahul Gandhi, Delhi CM Arvind Kejriwal, NCP patriarch Sharad Pawar and Le...